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अगर आप भी फिजिकल एजुकेशन या किसी भी फिजिकल एक्जाम की तैयारी कर रहे हैं या पहले से फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट में जॉब कर रहे हैं और आप कबड्डी के बारे में जानना चाहते हैं इसके बारे में संपूर्ण जानकारी लेना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही लाभदायक है|
कबड्डी का इतिहास
चलिए कबड्डी के इतिहास के बारे में जानते है, इसकी उत्पत्ति भारत के तमिलनाडु जिले से मानी जाती है| इस खेल के नियमों को 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में दक्कन जिमखाना द्वारा बनाकर तैयार किया गया था| और 1923 में हिंद विजय जिम खाना बड़ौदा ने इस खेल के नियमों को छपवाया और इस वर्ष एक अखिल भारतीय प्रतियोगिता का आयोजन करवाया गया जो बड़ौदा में करवाया गया था|
इस खेल के नियमों को 1934 में अखिल महाराष्ट्र शारीरिक शिक्षक द्वारा संशोधित किया गया था|और इस खेल को किस-किस नाम से जाना जाता है उसके बारे में चर्चा करने वाले हैं|कबड्डी के भिन्न नाम महाराष्ट्र के मध्य प्रदेश और गुजरात इन तीनों में इसको हूँ-तू-तू के नाम से जाना जाता है|
तमिलनाडु और मैसूर में इसको चुडू -चुडू के नाम से जाना जाता है और बंगाल में इसको हे-डू-डू के नाम से जाना जाता है| और उत्तर भारत में इसको कबड्डी के नाम से जाना जाता है| विदेशो में इसको किस नाम से जाना जाता है उनके बारे में चर्चा कर लेते हैं बांग्लादेश में इसको हूँ डू डू के नाम से जाना जाता है| और श्रीलंका में इसको गु-डू नाम से जाना जाता है|
और इंडोनेशिया में इसको चब (CHUB) के नाम से जाना जाता है|नेपाल में डू-डू नाम से और पाकिस्तान में इसको कबड्डी के नाम से जाना जाता है|अब मुख्य मुख्य बिंदुओं पर चर्चा कर लेते हैं, 1936 बर्लिन ओलंपिक में इसको प्रदर्शन के रूप में शामिल किया गया था और 1950 में कबड्डी महासंघ का गठन किया गया था|
प्रथम एशियाई चैंपियनशिप
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1957 में मास्को के विश्व सम्मेलन में कबड्डी को प्रदर्शन के रूप में शामिल किया गया, और 1961 अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में भी कबड्डी को शामिल कर लिया गया, और 1962 अखिल भारतिय विद्यालय खेल प्रतियोगिता बालकों के लिए सम्मिलित किया गया था|
1974 में भारतीय कबड्डी टीम बांग्लादेश खेलने गई, और 1955 प्रथम राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन पुरुष मद्रास और महिलाओं प्रतियोगिताओं का कोलकाता में आयोजन करवाया गया,1975 में बालिकाओं को भी शामिल कर लिया गया ,1980 प्रथम एशियाई चैंपियनशिप पुरुष वर्ग की करवाई गई थी जो कोलकाता के अंदर आयोजित की गई थी|
और 2005 में प्रथम एशियाई चैंपियनशिप महिला वर्ग के लिए करवाई गई, जिसका स्थान था हैदराबाद और 1990 बीजिंग एशियाई खेलों में पुरुष स्पर्धा को शामिल किया गया, 2004 में प्रथम विश्वकप पुरुष वर्ग जो मुंबई में हुआ था और 2012 प्रथम विश्वकप महिला वर्ग जो पटना में हुआ था और 1982 नई दिल्ली एशियाई खेलों में प्रदर्शन के रूप में शामिल किया गया था|
1972 में कबड्डी फेडरेशन यानी आई ओ ए (IOA) से मान्यता प्राप्त हुई, एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (AKFI) का उदय हुआ 1978 एशियाई एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन यानी (AAKF) का गठन हुआ, 1987 विश्व की प्रथम प्रतियोगिता कोलकाता में जिनको सेफ गेम (Safe Game) के नाम से जाना जाता है|
2004 विश्व कबड्डी संघ इंटरनेशनल कबड्डी फेडरेशन आईकेएफ की स्थापना हुई| और जिसका मुख्यालय जयपुर में स्थित है|
कबड्डी तीन श्रेणियों में खेली जाती है

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कबड्डी में कितनी श्रेणियां होती है, और कौन-कौन सी होती है उनके बारे में चर्चा कर लेते है| सबसे पहले आएगी संजीवनी कबड्डी यानी इसको अपने नेशनल स्टाइल कबड्डी भी कह सकते हैं संजीवनी स्टाइल कबड्डी में विरोधी टीम के एक प्लेयर के आउट होने पर दूसरे टीम का एक प्लेयर वापस आ जाता है यानी एक प्लेयर आउट होगा तो दूसरी विपत्ति टीम का एक प्लेयर वापस आ जाएगा|
यह खेल 40 मिनट का होता है 20-20 मिनट के दो हाफ होते हैं, और हाफ के जो बीच का समय ब्रेक होता है वह 5 मिनट का होता है और प्रत्येक टीम में 7 खिलाड़ी होते हैं, और कुल 12 खिलाड़ी होते हैं| दूसरे कबड्डी का नाम है, गामिनी कबड्डी गामिनी स्टाइल कबड्डी में भी एक टीम में 7 खिलाड़ी होते हैं और अगर कोई खिलाड़ी आउट हो जाता है तो वह तब तक वापस नहीं आ सकता जब तक उसकी पूरी टीम आउट न हो जाए|
इस खेल में इस समय सीमा की कोई भी पाबंदी नहीं होती यह खेल तब तक चलता है जब तक कोई भी टीम पांच या 7 पॉइंट अर्जित नहीं कर लेती तीसरी कबड्डी है, अमर कबड्डी अमर स्टाइल कबड्डी में भी कामिनी की तरह इसमें भी समय की कोई सीमा नहीं होती इसमें आउट होने वाला खिलाड़ी खेल में रहता है और एक टैग होने पर ही एक पॉइंट मिलता है|
ग्राउंड मेजरमेंट

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सर्कल कबड्डी यानी पंजाबी कबड्डी यह कबड्डी ज्यादातर हरियाणा पंजाब में खेली जाती है इस कबड्डी का खेल जो मैदान होता है वह चकोर न होकर वार्ताकार होता है यानी गोल होता है| जिसका लगभग व्यास होता है 72 फुट यानी 22 मीटर का होता है| इस कबड्डी की भी तीन शाखाएं होती है, जिनको नाम है लंबी कबड्डी सूची कबड्डी और गूंगी कबड्डी|
कबड्डी कोर्ट मेजरमेंट की बात करते हैं पुरुष कबड्डी के अंदर 13*10 मीटर का होता है कोर्ट और जो उसकी सेंटर लाइन होती है वह 6.5 मीटर होती है और सेंटर लाइन से जो बक लाइन होती है वह 3.75 मीटर पर होती है और जो आगे बोनस लाइन होती है वह 1 मीटर की होती है और जो एंडलाइन से बोनस लाइन होती है वह 1.75 मीटर होती है, और जो लोबी होती है वह 1 मीटर की होती है|
और वूमेंस कबड्डी के अंदर महिलाओं का जो कोर्ट होता है वह 12*8 का होता है और जो सेंटर लाइन होती है वह 6 मीटर की होती है और वह सेंटर लाइन से बक लाइन होती है वह 3 मीटर पर होती है और जो बोनस लाइन होती है वह 1 मीटर पर होती है और एंडलाइन से जो बोनस लाइन होती है वह 2 मीटर पर होती है, और जो लोबी होती है वह एक मीटर की होती है|
रूल्स ऑफ कबड्डी

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यह था ग्राउंड मेजरमेंट चलिए अब रूल्स ऑफ कबड्डी की बात करते हैं| कबड्डी में कौन-कौन से रूल होते हैं कबड्डी में कुल 12 खिलाड़ी होते हैं और मैदान में 7 खिलाड़ी खेलते हैं पांच अतिरिक्त खिलाड़ी होते हैं जिनको सब्सीट्यूट किया जा सकता है|अब अपने पुरुष और महिला दोनों कबड्डी की रूल की बात करेंगे कि इनमें मैच की अवधि क्या-क्या और कितनी होती है|
पुरुष कबड्डी के अंदर 20-5-20 की अवधि होती है मैच की और वूमेंस की 15- 5- 15 की अवधि होती है|और खिलाड़ियों की जो टीशर्ट होती है उस पर नंबर लगाना बहुत ज्यादा जरूरी होता है| चेस्ट पर जो नंबर लगते हैं उनकी मोटाई 4 इंच होनी चाहिए और जो पीठ पर लगती है उनकी 6 इंच मोटाई होनी चाहिए|
एक टीम के सभी खिलाड़ियों को एक जैसी पोशाक पहनना बहुत ज्यादा जरूरी होता है, और सभी खिलाड़ियों के नाखून कटे हो किसी भी प्रकार की कोई चीज हाथ में नहीं पहनी हो जो धारदार वस्तु जिससे किसी भी खिलाड़ी को नुकसान हो| और शरीर पर किसी भी टेल या किसी तरह का पदार्थ नही लगा होना चाहिए|
सब्सीट्यूट

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अगर मैच मेट पर हो तो जूते बहुत ज्यादा जरुरी होता है, सब्सीट्यूट की बात करते हैं तो कबड्डी में पांच सब्सीट्यूट हो सकते हैं और जो खिलाड़ी मैच से बाहर हो जाए वह सब्सीट्यूट नहीं हो सकते और दो खिलाड़ी आउट हो जाए वह भी सब्सीट्यूट नहीं हो सकते और सब्सीट्यूट टाइम आउट या इंटरवल में लिया जा सकता है|
अब बात करते हैं टाइम आउट की टाइम आउट कब-कब और कैसे लिया जा सकता है| दोनों टीमों को दो-दो टाइम आउट दिए जाते है, हर हाफ में प्रत्येक टाइम आउट का जो समय होता है 30 सेकंड होता है| कोच कप्तान या किसी भी खिलाड़ी के द्वारा टाइम आउट लिया जा सकता है, रेफरी को बता कर और टाइम आउट को मैच में जोड़ दिया जाता है|
टाइम आउट के समय कोई भी खिलाड़ी मैदान से बाहर नहीं जा सकता उसे मैदान में ही रहना होता है अगर टाइम आउट में कोई खिलाड़ी मैदान से बाहर जाता है तो रेफरी द्वारा एक टेक्निकल प्वाइंट दे दिया जाता है| रेफ्रि के द्वारा ऑफिशियल टाइम आउट भी लिया जा सकता है| रेफरी खुद भी ऑफिशियल टाइम आउट ले सकता है किसी भी फाउल या कोई भी ऐसी कंडीशन आ जाए तो वह फाउल ले सकता है|
मैच की शुरुआत
अब बात करते हैं मैच की शुरुआत की, मैच की शुरुआत टॉस के द्वारा होती है, टॉस जीतने वाला रेड या कोर्ट दोनों में से एक चुन सकता है जैसा कि आप जानते है, रीडर जब रेड करता है तो रेफरी की विसेल के साथ रेड को शुरू किया जाता है|और रेड करते वक्त खिलाड़ी को कबड्डी कबड्डी बोलना होता है उसको बिना रुके कबड्डी कबड्डी बोलना होता है|
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और अगर वह किसी टीम के खिलाड़ी को आउट कर देता है एक प्लेयर को टच करता है तो उसे एक पॉइंट दे दिया जाता है और जो रेड का समय होता है वह 30 सेकंड का होता है, 30 सेकंड में उसको रेड करनी होती है बिना किसी खिलाड़ी को टच किए लॉबी में नहीं जा सकता अगर खिलाड़ी लोबी में टच होने के बाद जाता है तो वह आउट नहीं माना जाता|
अगर बिना किसी खिलाड़ी को टच किये लोबी में जाता है तो आउट माना जाता है एक साथ दो या दो से ज्यादा रेडर अगर रेड करने के लिए चले जाए तो टेक्निकल प्वाइंट दिया जाता है| रेड करने के बाद खिलाड़ी अपने कोर्ट में पहुंचने के बाद 5 सेकंड में रेड शुरू करना होता है| अगर रेड नहीं करते तो वह अपनी रेड मिस कर जाएंगे और विपरीत टीम को एक पॉइंट दे दिया जाएगा|
लोना
लोना: एक टीम विपरीत टीम के सभी खिलाड़ियों को आउट कर देती है तो एक लोना माना जाता है| और लोने के दो पॉइंट अतिरिक्त दी जाती है, जैसे पूरी टीम आउट हो जाती है जितने आउट हुए उतने तो पॉइंट मिलते हैं, उसके साथ दो अतिरिक्त पॉइंट भी दिए जाते हैं| उसके बाद सभी खिलाड़ियों को वापस कोर्ट में आना होता है|10 सेकंड के अंदर सभी खिलाड़ियों को वापस कोर्ट में आना होता है|
बोनस प्वाइंट: जो बोनस प्वाइंट होता है वह एक बोनस लाइन को पार करता हो और दूसरा पर हवा में होना चाहिए तभी बोनस प्वाइंट को काउंट किया जाता है| और दूसरा पैर अगर हवा में नहीं है तो बोनस प्वाइंट नहीं माना जाता, बोनस प्वाइंट के लिए कम से कम छह खिलाड़ी होना अवश्यक है, 6 या 7 खिलाड़ी को बोनस दिया जाता है|
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एक बोनस को पूरा करने के लिए रेडर को बोनस लाइन को टच के साथ-साथ दूसरा पैर हवा में होना बहुत ज्यादा जरूरी है|एक पैर से बोनस लाइन टच करेगा और दूसरा पैर हवा में होना चाहिए, किसी खिलाड़ी को टच करने से पहले बोनस लेना होता है|
अगर बोनस के बाद खिलाड़ियों को टच करता है तो जितने भी खिलाड़ियों को टच करता है उनके भी बोनस के साथ में पॉइंट मिलते हैं बोनस का 1 पॉइंट दिया जाता है और उसका खिलाड़ी रिवाइवल नहीं होता|जो टीम ज्यादा अंकल अर्जित करती है वह टीम विजय हो जाती है|
मैच टाई
अब बात करते हैं टाई की अगर मैच का कोई निर्णय नहीं निकलता मैच अगर टाइम हो जाता है तो पांच रेड दोनों टीमों को, पांच-पांच रेड दी जाती है| और इसमें बक लाइन को ही बोनस लाइन मान ली जाती है|जो बकलाइन होती है उसी को बोनस लाइन मान ली जाती है|
पहली रेड वह टीम करती है जिसने शुरुआत में पहली रेड की थी पहली रेड इसमें 5-5 रेड वही करेगी जिसने पहले शुरुआत में रेड की थी| अगर उसके बाद भी मैच टाई हो जाता तो गोल्डन समय दिया जाता है उसके अंदर रेडर रेड डालता है अगर रेड पॉइंट लेकर आता है तो वह टीम जीत जाती है| अगर विपरीत टीम उसे पकड़ लेती है तो वह टीम हार जाती है|
रेफरी और अंपायर
इसके अंदर एक रेफरी होता हैं दो अंपायर होते हैं और एक स्कोरर होता है और दो सहायक स्कोरर होते है, जो रेफरी होता है उसका कार्य होता है मैच को शुरू करवाना टॉस करवाना और एंड तक मैच को लीड करना उसमें पॉइंट बताना और जो 2 अंपायर होते हैं उनका कार्य भी यही होता है कि अगर आवश्यकता पड़े मैच के रूल के अनुसार वह भी निर्णय दे सकते है|
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और स्कोरर का काम रहता है कि वह स्कोर शीट में जो भी अंक बताए जाए उनको स्कोर शीट में भरने का कार्य रहता है, और जो 2 सहायक स्कोरर होते है उनका कार्य होता है की जो मैच चल रहा होता है उसके बैक साइड जो सिटिंग बॉक्स में आकर बैठते हैं या पीछे वाली बेक लाइन होती है उस पर किसी का पैर टच हो जाए या कोई भी फाउल करता है तो उनका ध्यान रखना|और रेफरी को उसका इशारा करना या उनको बताना कि यहां से यह फाउल हो रहा है|
Card: कार्ड का रोल
अब बात करते हैं कार्ड की जो पहला कार्ड है ग्रीन कार्ड जो वार्निंग के लिए दिखाया जाता है| यह चेतावनी के लिए दिखाया जाता है किसी को चेतावनी दी जाती है तो यह ग्रीन कार्ड दिखाया जाता है| दूसरा होता है येल्लो कार्ड जो टेंपरेरी सस्पेंशन फॉर 2 मिनट्स यानी मैच के खिलाड़ी को 2 मिनट के लिए बाहर कर दिया जाता है|
कोई भी दूसरा खिलाड़ी उसके स्थान पर नहीं आ सकता, और तीसरा होता है रेड कार्ड इस कार्ड को दिखाने के बाद खिलाड़ी को मैच से या टूर्नामेंट से ही बाहर कर दिया जाता है|
शब्दावली
कबड्डी के अंदर जो शब्दावली यूज होती है उनके बारे में रेडार, कैचर, डिफेंडर, बैक किक,टॉय टच, एंकल होल्ड, थाई होल्ड,रिस्ट होल्ड, यह सब शब्दावली है इसमें यूज होती है| अब आता है अवार्ड, प्रथम अर्जुन पुरस्कार सदानंद शेट्टी और 2017 में अर्जुन पुरस्कार जसवीर सिंह जी को मिला था|
अब प्रथम ध्यानचंद पुरस्कार की बात करते हैं जो मिला है शमशेर सिंह जी को और राजस्थान से अर्जुन पुरस्कार विजेता है नवनीत गौतम जी|