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जूते पॉलिश करने वाला लड़का जो बना दुनिया का महान फूटबॉलर एडसन की जिंदगी की सच्ची कहानी जो आपके अंदर हिम्मत और आत्मविश्वास भर देगी|एडसन जिसे प्यार से डीको कहते थे| वह ब्राजील के एक बस्ती में अपने परिवार के साथ रहता था| बेहद गरीबी की वजह से उसे अक्सर मेहनत मजदूरी करनी पड़ती थी ताकि किसी तरह घर का गुजारा चल सके|
इसीलिए वह अक्सर लोगों के जूते पोलिश किया करता था उसके पिता साफ सफाई का काम करते थे और उसकी मां लोगों के घरों में झाड़ू पोछा करती थी| जो बड़ी मुश्किल से अपने तीन बच्चो को पाल रहे थे डीको को फुटबॉल खेलने का काफी शौक था| इसलिए वह जल्दी से अपने जूते पोलिश करके अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए चला जाता था|
(PELE) एक किंवदंती का जन्म
बस्ती के बच्चो के पास खेलने के लिए फुटबॉल नहीं था इसलिए वह कुछ कपड़ों को एक जुराब में भरकर उसको गेंद बनाकर खेलते थे| वह गेंद को घरों के ऊपर से उछालते और उसे जमीन से टच नहीं होने देते थे| जो इस खेल को और भी इंटरेस्टिंग बना देता था|डीको ने फुटबॉल की कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी पर फिर भी वह काफी अच्छा फुटबॉल खेलता था|
फुटबॉल खेलने की वजह से उनके कपड़े गंदे हो जाते थे इसी वजह से डीको और उसके छोटे भाई को अपनी मां से डांट भी पड़ती थी| क्योंकि उसकी मां को फुटबॉल पसंद नहीं था 1950 में ब्राजील और यूरोप के बीच फीफा वर्ल्ड कप का फाइनल मैच था| और एक रेस्टोरेंट में कुछ लोग उस मैच की कमेंट्री सुन रहे थे| जिसमें डीको के पिता भी बैठे थे, बस्ती के बच्चे भी उस रेस्टोरेंट की छत पर चढ़कर उस मैच की कमेंट्री सुन रहे थे|
सबको ब्राजील की टीम से बहुत उम्मीदें थी और सब ब्राज़ील की जीत के लिए दुआ कर रहे थे|पर बदकिस्मती से ब्राजील वह गेम हार जाता है| और डीको के पिता दुखी होकर रोने लगते हैं अपने पिता को रोता हुआ देखकर डीको भी रोने लगता है| फिर वह उनसे कहता है बाबा मैं वादा करता हूं कि एक दिन में ब्राजील के लिए वर्ल्ड कप जरूर जीतूंगा पर उसके पिता उसे अपनी मां की बात सुनने के लिए कहते हैं|
और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहते हैं अगले दिन डीको की मां उसे अपने साथ एक बंगले के साफ सफाई करने के लिए ले जाती है| वहां वह उसे बताती है कि डीको के पिता बहुत अच्छे फुटबॉलर थे| लेकिन चोट लगने की वजह से उनका सारा करियर बर्बाद हो गया|किसी ने उनको सपोर्ट नहीं किया और अब गरीबी की वजह से उन्हें टॉयलेट साफ करने पड़ते हैं|
इसी वजह से वह डीको को फुटबॉल खेलने से मना करती थी|जैसे ही वो थोड़ी देर के लिए किचन से बाहर जाती है कुछ लड़के वहां आ जाते हैं जो एक फुटबॉल टूर्नामेंट में अपने फेब्रेट फुटबॉलर की तरह खेलने की बात कर रहे थे डीको कहता है कि वह भी PELE की तरह खेलेगा सब लड़के हसने लगते है|क्योंकि उसका नाम PELE नहीं दीले था|
और डीको ने उसका नाम गलत बोला था वह घमंडी लड़के डीको को PELE नाम से चिड़ाने लगते हैं| और फ्लोर पर पानी भी गिरा देते हैं तभी डीको कि माँ वहां आ जाती है उसे कुछ भी पता नहीं था इसके बावजूद भी वो डीको की तरफ से उनसे माफी मांगती है| और वह लड़के अपने घमंड में वहा से घर चले जाते हैं|
बाउरू युवा कप (Copa Da Juventude De Bauru)
वापस जाने से पहले डीको वह पंपलेट उठा लेता है जिसमें टूर्नामेंट की खबर थी| फिर बस्ती के बच्चे भी उस टूर्नामेंट में हिस्सा लेते हैं वह एक बेडशीट का कपड़ा फाड़ कर अपने लिए टीशर्ट बना लेते हैं| लेकिन उनके पास जूते नहीं थे जूते ना होने की वजह से बंगले वाले किंग्स टीम के बच्चे उनके टीम को शूलेश वंस बुलाकर उनका मजाक उड़ाते हैं,जिससे वह बच्चे सर्मिन्दा हो जाते है|
अपने लिए जूते का इंतजाम करने के लिए वह मूंगफली की बोरियां चुरा कर भाग जाते हैं| और बाजार में उसे बेचने लगते हैं लेकिन किंग्स के घमंडी बच्चे बाजार में उनका मजाक उड़ाने लगते हैं| और वह डीको को PELE नाम से भी चिड़ाते हैं| तो गुस्से में डीको उसे थप्पड़ मार देता है और उनमें झगड़ा शुरू हो जाता है|डीको की मां को लगता है कि स्कूल टीचर ने उसे बुरी तरह पीटा है|
और उसकी माँ उसके स्कूल जाने को कहती है लेकिन डीको के पिता को सब पता था और कहते हैं कि वह कल खुद उस टीचर से मिलेंगे बाद में वह डीको से कहते है,की झगड़े का कारण तुम्हारी इन्सेचुरिटी है| तुम्हें अपने हालातो पर शर्मिंदा नहीं होना चाहिए और एक अच्छा खिलाड़ी अपने प्रतिद्वंद्वी को अपनी परफॉर्मेंस से जवाब देता है ना की लड़ाई झगड़े से|
डीको यह जानकर बहुत खुश था कि उसके पिता उसके साथ हैं फिर फाइनल मैच का दिन आ जाता है और यह मैच किंग्स और शूलेसवंश के बीच में था| फाइनल मैच में सेनटो क्लब की ओर से ब्राजील के फुटबॉल लीजेंड वाल्डेमार दे ब्रतो भी मौजूद थे| जो अच्छे खिलाड़ियों को सेलेक्ट करने वाले थे किंग्स टीम के घमंडी बच्चों ने शूलेस वंस के कप्तान डीको का नाम PELE लिखवा दिया था|
डीको का नाम PELE कैसे पड़ा
और जब उसका नाम अनाउंस होता है तब डीको को गुस्सा आने लगता है|डीको के दोस्त अपने लिए कुछ पुराने जूते तो ली आए थे लेकिन वो उनके साईज के नहीं थे| फिर भी वह उन्हें पहन लेते हैं मगर उनकी स्पीड कम हो जाती है| जिसका फायदा उठाकर दूसरी टीम गोल पर गोल करके स्कोर 6-0 पर ले जाती है|
वह डीको को PELE नाम से चिड़ाते हैं और डीको झगड़ने लगता है| लेकिन तभी वह अपने पिता की ओर देखकर रुक जाता है फिर वह अपने जूते उतार कर फेंक देता है|और पुरे फोकस के साथ वैसे ही खेलने लगता है जैसा वह अपनी बस्ती में खेला करता था| उसके स्किल बहुत इंप्रेसिव थे क्योंकि दूसरी टीम का कोई खिलाडी उसे रोक नहीं पा रहा था|
और डीको आगे बढ़ते हुए अपना पहला गोल कर देता है फिर बाकी बच्चे भी अपने जूते उतार कर खेलने लगते हैं| वह बच्चे गेम को पूरी तरह से पलट देते हैं और दूसरी टीम को पछाड़ते हुए गोल पर गोल करने लगते है| स्कोर 6-5 पर पहुंच चुकी थी लेकिन टाइम खत्म होने की वजह से डीको की टीम हार जाती है| मगर सारी ऑडियंस को शूलेस वंश की परफॉर्मेंस बहुत अच्छी लगी थी और डीको के सम्मान में सारा मैदान PELE नाम से गूंज रहा था|
अब सब लोग उसे PELE नाम से जानने लगे थे किंग्स के टीम ने तो सिर्फ मैच जीता था|मगर डीको सबका दिल जीता था| और वाल्देमार डीको की परफॉर्मेंस से इंप्रेस होकर उसके पिता को अपना कार्ड देते हैं| मैच खत्म होने के बाद मूंगफली के गोदाम में काम करने वाले कुछ लोग वहां आ जाते हैं| जो चोरी का बदला लेने के लिए डीको और उसके दोस्तों का पीछा करने लगते है|
डीको बना अपने दोस्त के मौत का कारण
उनसे बचने के लिए डीको अपने दोस्तों के साथ जंगल में चला जाता है| लेकिन गिरने की वजह से एक बच्चे को चोट लग जाती है| जिसे डीको एक गड्ढे में छुपा देता है पर तेज बारिश की वजह से जमीन धस जाती है डीको अपने दोस्त को बचाने की काफी कोशिश करता है लेकिन वह बच्चा मट्टी में दबने की वजह से मर जाता है,अब दोस्त की मौत के बाद डीको बहुत दुखी था|
डीको खुद को उसकी मौत का जिम्मेदार मानता था जो अपनी मां को सारी बात बता देता है उसकी माँ जानती थी कि यह सिर्फ एक एक्सीडेंट था उसने ऐसा जानबूझकर नहीं किया पर वह काफी दुखी था वह कहता है कि अब मैं एक अच्छे बच्चे की तरह फुटबॉल छोड़कर सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दूंगा अगले दिन स्कूल के बाद डीको के पिता उसे अपने साथ काम करने ले जाते हैं|
जहां अस्पताल में वह साफ सफाई का काम करते थे उनका काम काफी सख्त था लेकिन उसके पिता बहुत मेहनती थे जो पूरे धैर्य के साथ अपने काम को खत्म करते हैं| और अपना काम खत्म करने के बाद वह डीको को बताते हैं कि कैसे वह बचपन में एक आम को फुटबॉल बनाकर खेलते थे| और वह उसे कुछ स्किल भी सिखाते हैं लेकिन डीको अपने पिता के बात को इग्नोर कर देता है|
वह बस्ती में फुटबॉल खेलते हुए बच्चों को भी इग्नौर कर देता है क्योकि वो अभी तक खुद को उस एक्सीडेंट का दोषी मानता था| लेकिन धीरे-धीरे उसके पिता की मेहनत का असर होने लगता है और वह अपने पिता की तरह प्रेक्टिस करने लगता है| फिर ऐसे ही कुछ साल बीत जाते हैं और डीको 15 साल का हो चुका था उसके पिता उसे बहुत सारे नई-नई टेक्निक सीखाते हैं, जिसे डीको बड़ी लगन से सीखता है|
सेंटॉस फुटबॉल अकेडमी
एक दिन उसकी मां उसे अपने पिता के साथ प्रैक्टिस करते हुए देख लेती है| वह डीको के स्किल को देखकर समझ चुकी थी कि फुटबॉल ही डीको की मंजिल है| और वह फुटबॉल स्काउट वाल्डेमार ब्रतो को वहां बुलाती है जब डीको घर वापिस आता है तो वाल्डेमार वहा पहुच चुके थे|और वो डीको को सेंटॉस फुटबॉल अकेडमी में शामिल करना चाहते थे|
7:04 यह बात सुनकर डीको बहुत खुस होता है और अपनी माँ के गले लग जाता है|डीको वाल्डेमार के साथ सेंटॉस चला जाता है और अपनी ट्रेनिंग शुरू करता है|डीको का कोच उसे फुटबॉल की ट्रेडिशनल तकनीक सीखने के लिए कहता है क्योंकि उसे डीको का तरीका पसंद नहीं था|वो कहता है की तुम बंदरो की तरह खेल रहे हो|
कोच उसे 1950 का फाइनल मैच भी दिखता है जिसमें ब्राजील के टीम ने ट्रेडिशनल तरीके का इस्तेमाल नहीं किया था जिसकी वजह से वह वर्ल्ड कप हार गए थे| लेकिन अपने पुराने तरीके को भूलकर ट्रेडिशनल तरीके से खेलना डीको के लिए आसान नहीं होने वाला था| वह देर रात तक अपनी प्रैक्टिस करता है| लेकिन ट्रेडिशनल स्टाइल में उसकी गेम किसी नौसीखिए की तरह लग रही थी| जो वाल्डेमार भी नोटिस करते हैं|
क्योंकि डीको प्रैक्टिस मैच में एक भी गोल नहीं कर पाया था उसका आत्मविश्वास टूट चुका था और इसी चिंता में वह रात को रोता रहता था| फिर एक रात वह अपना सामान बांधकर रेलवे स्टेशन जा रहा था तब वाल्डेमार उसे देख लेते हैं वाल्डेमार उसे घर वापस जाने का कारण पूछते हैं|डीको कहता है, कि कोच को मेरा फुटबॉल खेलने का तरीका पसंद नहीं है दुसरे लड़के मुझसे बेहतर है|
इसलिए मेरी सिलेक्शन होना मुश्किल है और अगर मैं पढ़ाई भी नहीं की तो मुझे भी टॉयलेट साफ करने पड़ेंगे वाल्डेमार कहते हैं|की तुम्हारे फुटबॉल खेलने के तरीके को जिंगा स्टाइल कहते हैं| जिसका इस्तेमाल गुलामी के दौर में आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए किया गया था| जिसकी वजह से आजादी हासिल करने में बहुत मदद मिली, लेकिन 1950 के वर्ल्ड कप में हार का कारण जिंगा स्टाइल को माना गया|
क्या था जिंगा स्टाइल
तब से कोई भी जिंगा स्टाइल में खेलना पसंद नहीं करता वाल्डेमार को इस बात का दुख भी था क्योंकि जिंगा उनके पूर्वजों की विरासत थी और ब्राजील के लोग उसे भूलते जा रहे थे| फिर वह कहते हैं कि तुम्हारा जिंगा स्टाइल बहुत मजबूत है तुम उन सबको जिंगा स्टाइल की ताकत दिखा दो, जो इसे हार का कारण मानते हैं या फिर किसी कायर की तरह अपने घर वापस चले जाओ|
वाल्डेमार की बात सुनकर डीको एकेडमी में वापस चला जाता है| अगले दिन डीको फुटबॉल खेल रहा था लेकिन वह पास मिस कर देता है और अपने ही टीम के खिलाड़ी से टकरा जाता है| तब वाल्डेमार को देखकर अपने पिता द्वारा सिखाए टेकनिक द जिंगा स्टाइल की याद आती है|फिर वो अपने जिंगा स्टाइल में खेलते हुए गोल पोस्ट की ओर बढ़ने लगता है|
और वह फुटबॉल को हवा में उछाल कर अपना पहला और बेहतरीन गोल कर देता है| उसका यह स्टाइल देखकर कोच उसे अपने पास बुलाता है डीको उससे माफी मांगता है लेकिन कोच को ये स्टाइल अच्छा लगा था|और कोच बोलता है की ऐसा फिर से करो, उस मैच में लगातार चार गोल कर देता है| जिसकी खबर अखबार में छपती है अब वह मशहूर होने लगा था|
और उसकी प्रमोशन जूनियर टीम में भी हो चुकी थी,जूनियर टीम भी डीको की बेहतरीन परफॉर्मेंस को देखकर उसकी पापुलैरिटी बढ़ने लगी थी| और एक दिन उसे पता चलता है कि उसे जूनियर टीम से सीधा प्रोटीम में सेलेक्ट कर लिया गया है सिर्फ 15 साल की उम्र में डीको प्रोटीम में खेलने लगा था जिसे खूब प्यार मिल रहा था फिर एकदिन डीको अपनी फैमिली से मिलने जाता है|
वह अपने पिता को फुटबॉल की कमेंट्री सुनने के लिए रेडियो गिफ्ट करता है और अगले दिन जब वह उस रेडियो पर वर्ल्ड कप के लिए नेशनल टीम सिलेक्शन के बारे में सुन रहे थे तब उन्हें पता चलता है कि 16 साल के एडसन यानी डीको को भी टीम में सेलेक्ट कर लिया गया है|उसके पिता बहुत खुस थे फिर उसके पिता उसे बताते है कि वह जिंगा स्टाइल में फुटबॉल खेला करते थे|
जोज बनाम डीको
लेकिन एक मैच में डाउट और इन सिक्योरिटी की वजह से वह शॉट नहीं मार पाए और उन्हें इंजरी हो गई जिसके बाद उनका करियर खत्म हो गया| वह डीको से कहते है, डाउट और इनसिक्योरिटी की जिंगा स्टाइल में कोई जगह नहीं है|
उसके पिता उसे PELE नाम की टीशर्ट दिखाते हैं और कहते हैं की जब लोग तुम्हे नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे और तुम्हारे खेलने के तरीके पर सवाल उठेंगे तब तुम्हें खुद पर पूरा भरोसा होना चाहिए|किसी तरह का डाउट इन सिक्योरिटी या शर्मिंदगी नहीं, इसके बाद डीको अपनी नेशनल टीम से मिलता है| जो काफी फ्र्न्डली थे,लेकिन वह वो बंगले वाला लड़का जोज एल्ट फ़िनी भी था|
डीको का उसके साथ कंपटीशन था क्योंकि कोच उन दोनों में से किसी एक को सेलेक्ट करने वाला था|जोज उसको अपनी इटालियन बैकग्राउंड और अपने फुटबॉल के ट्रेडिशनल स्टाइल पर काफी घमंड था| जो माइक पर डीको और बाकी खिलाड़ियों का मजाक उड़ाता है| क्योंकि वह जिंगा स्टाइल में खेलते थे उसकी वजह से रिपोर्टर्स जिंगा स्टाइल पर सवाल उठाते हैं पर कोच कहता है कि हम ट्रेडिशनल स्टाइल में ही खेलेंगे|
क्योंकि हम जिंगा की वजह से 1950 में हार गए थे अपने ही देश में वह खिलाड़ी खुद को पिछड़ा हुआ महसूस कर रहे थे| क्योंकि कोच दूसरे खिलाड़ियों को उनसे ज्यादा सिविलाइज्ड मानता था| फिर कोच डीको से कहता है कि मैने ब्राजील के प्रेसिडेंट से वादा किया है कि हम जिंगा स्टाइल में खेलने की गलती दोबारा नहीं करेंगे फिर वह उस पर चिल्लाते हुए कहता है|
सेंटॉस में जिंगा स्टाइल तुम्हारे लिए काम कर गया था लेकिन इंटरनेशनल मैच में जिंगा स्टाइल बिल्कुल भी नहीं चलेगा क्योंकि वह जिंगा को जंगलियों का स्टाइल मानता था|डीको बाकी प्लेयर्स के साथ ट्रेडिशनल यूरोपियन वे में प्रेक्टिस करने लगता है| लेकिन ट्रेडीशनल वे में उसकी परफॉर्मेंस कुछ खास नहीं थी फिर एक दिन मैच के दौरान कोच प्लेइंग इलेवन की सिलेक्शन करने वाला था|
जिंगा स्टाइल का विरोध
तब डीको का जोज के साथ कोम्पिटीशन हो जाता है, जोज ट्रेडिशनल स्टाइल में काफी तेज था जो बड़े आराम से डीको को बीट कर देता है| बदले में डीको अपने जिंगा स्टाइल में खेलने लगता है लेकिन उसके घुटने में चोट लग जाती है| फिर डीको फोन पर अपनी माँ से माफी मांगते हुए कहता है कि मुझे आपकी बात सुननी चाहिए थी उसे डर था की कही उसे भी अपने पिता की तरह टॉयलेट साफ़ न करना पड़े|
लेकिन उसकी माँ कहती है कि यह सिर्फ तुम्हारा नहीं बल्कि हम सब का फैसला था और यह बिल्कुल सही था हम सब तुम्हारे साथ हैं फिर उसका चेकअप करने के बाद डॉक्टर बताता है कि वह सीजन में खेल नहीं पाएगा लेकिन अब डीको को रिप्लेस नहीं किया जा सकता था| क्योंकि बहुत देर हो चुकी थी तभी रेडियो पर न्यूज़ आती है जिसमें वह कहते हैं कि ब्राजील के प्लेयर्स अभी भी अपनी गलतियों से कुछ सीखे नहीं है|
क्योंकि जिंगा की वजह से उनके एक प्लेयर को चोट लग चुकी है इस खबर से कोच और बाकी प्लेयर्स डीको से नाराज थे| फिर 1958 का वर्ल्ड कप शुरू हो जाता है डीको टीवी पर हर मैच को ध्यान से देखता है|और अपने घुटने को जल्दी ठीक करने की हर संभव कोशिश करता है| ब्राजील की टीम शुरुआत में अपने कुछ मैच जीत जाती है| लेकिन उनका एक मैच काफी ख़तरनाक होता है जिसमे ब्राज़ील की टीम के मेन प्लेयर्स घायल हो जाते हैं| और जोज एल्ट फ़िनी भी घायल हो जाता है अब कोच के पास कोई ऑप्शन नहीं थी इसीलिए वह डीको को खेलने के लिए कहता है|
डीको पूरी तरह से फिट नहीं था लेकिन कोच उसे खुद को फिट दिखाने के लिए कहता है डॉक्टर उसे जिंगा स्टाइल में ना खेलने की सलाह देता है|क्योंकि उसका घुटना काफी कमजोर है फिर डीको पहली बार वर्ल्ड कप खेलने के लिए जाता है| जिसे टीवी पर देख कर उसके पिता प्राउड फील कर रहे थे लेकिन स्टेडियम में सब लोग जिंगा की वजह से डीको का मजाक उड़ा रहे थे|
ब्राजील का सबसे खूबसूरत हिस्सा
कमजोर घुटने की वजह से डीको ठीक से खेल नहीं पता, जो अपने पास मिस कर देता है, बावजूद इसके ब्राजील की टीम अपना पहला गोल कर देती है| और वह मैं जीत कर सेमीफाइनल में पहुंच जाते हैं| सेमीफाइनल में उनका मुकाबला फ्रांस के साथ था जिसमें फ्रांस के प्लेयर्स डीको से बड़ी आसानी से गेंद छीन लेते हैं| और फर्स्ट हाफ में अपना पहला गोल कर देते हैं इंटरवल के दौरान वह अपनी टीम के घायल खिलाड़ियों को देखता है, और जोज के पास चला जाता है जो अकेला बैठा था|
डीको उसे कहता है कि मैं तुम्हारी तरह नहीं खेल सकता अगर तुम्हारी टांग ठीक है तो तुम मेरी जगह खेल सकते हो लेकिन जोज कहता है की प्रॉब्लम मेरी टांग में नहीं बल्कि मेरे दिमाग में है| वह कहता है कि मैं हमेशा से एक यूरोपियन बनना चाहता था लेकिन मेरी सारी जिंदगी एक झूठ थी क्योंकि मैं शुरू से ही एक ब्राज़ीलियन था और ब्राजील का सबसे खूबसूरत हिस्सा है, द जिंगा स्टाइल जिसकी आज के मैच में बहुत जरूरत है|
उसकी यह बात डीको को काफी मोटिवेट करती है फिर सेकंड हाफ में डीको अपने जिंगा स्टाइल में खेलने लगता है वो ना तो कोच की बात सुनता है और ना ही डॉक्टर की क्योंकि वह अपने दिल की बात सुन रहा था डीको बड़ी तेजी से गोल पोस्ट की ओर बढ़ता है और गेंद को हवा में उछालकर गोल कर देता है| फ्रांस की टीम डीको की टेक्निक्स को समझ नहीं पा रही थी इस बात का फायदा उठाकर डीको गोल पर गोल करके ब्राजील को वर्ल्ड कप फाइनल में ले जाता है|
लेकिन उनका फाइनल मैच सबसे स्ट्रांगेस्ट टीम स्वीडन के साथ था फिर कोच उन्हें बताता है की स्वीडेन की टीम अपनी स्ट्रैटेजिक फॉरमेशंस के जरिए हर मैच जीत जाती है|वह उन्हें स्वीडेन के सारे फॉरमेशंस की प्रैक्टिस करवाता है और सिर्फ ट्रेडिशनल स्टाइल में खेलने के लिए कहता है| स्वीडन के टीम हर तरफ से ब्राजील से बेहतर थी जिसमें उनका एक्सपीरियंस सोफिस्टीकेशन स्ट्रेटजी और स्ट्रेंथ के साथ-साथ उनका घिनौना गेम प्ले भी शामिल था|
क्योंकि वह दूसरे प्लेयर को बुरी तरह से जख्मी करने में माहिर थे और अब उनके निशाने पर डीको था|प्रेस कांफ्रेंस के दौरान स्वीडेन का कोच कहता है,की ब्राजील की टीम 1950 की तरह ही हार जाएगी वह ब्राज़ील खिलाड़ियों को एबनार्मल बोल कर उनका मजाक उडाता है|क्योकि किसी की कलाई थोड़ी मुड़ी हुई थी किसी की एक टांग दूसरे से छोटी थी और किसी के हाथ की एक उंगली नहीं थी|
स्वीडेन के कोच ने ब्राज़ील के खिलाडियों का मजाक उड़ाया
सब लोग उन पर हंसने लगते हैं,और नाराज होकर ब्राजील का कोच वहां से चला जाता है फिर डीको के पिता उसे बताते हैं कि 1950 में भी ऐसा ही हुआ था जिसकी वजह से खिलाड़ियों में सेल्फ डाउट्स आ गए थे| और उनका कॉन्फिडेंस गिर गया था वह डीको को किसी भी तरह के डाउट से सावधान करते हैं| क्योंकि टीम के प्लेयर उसे PELE नाम से बुलाने लगे थे वह कहते हैं कि यह एक इशारा है|
क्योंकि स्वीडन ब्राजील के एक-एक प्लेयर का आत्मविश्वास तोड़कर उनके यूनिटी को तोड़ना चाहता है|इसीलिए वो अपनी टीम को एकजुट करने के लिए यह कहते हैं| अपनी टीम को एकजुट करने के लिए वह उन्हें फुटबॉल को होटल से लेकर पास वाले लाइट हाउस तक ले जाने के लिए चैलेंज करता है|पहले तो सब इसे बचकाना कहते हैं| लेकिन जोज के साथ देने पर सब मान जाते हैं|
फिर वह एक दूसरे को पास देने लगते हैं और बिना फुटबॉल को जमीन से टच किया उसे होटल से बाहर लाइटहाउस तक ले जाते हैं|डीको का यह प्लान काम कर जाता है जो टीम में नया उत्साह भर देता है फिर उनका कोच वहां आता है और कहता है कि अगर हम वैसे ही खेलेंगे जैसा मैंने तुम सबको सिखाया है तो हम हार जाएंगे वह ऐसा इसलिए कहता है|
क्योंकि उसने होटल में अपनी टीम को जिंगा स्टाइल में खेलते हुए देखा था जो बहुत बेहतरीन था कोच कहता है कि हर ब्राज़ीलियन खिलाड़ी की रगों में जिंगा स्टाइल है जो हम सबको एकजुट करता है|पता नहीं काल हम जीतेंगे या नहीं, लेकिन कल हम सारी दुनिया को ब्राजील का असली स्टाइल द जिंगा स्टाइल दिखा देंगे फिर अगले दिन वर्ल्डकप के फाइनल मैच के लिए पूरी दुनिया काफी एक्साइड थी|
उस मैच से पहले डीको अपने बचपन की टी शर्ट पहनता है जिस पर PELE लिखा था|ऐसा वो अपने सेल्फ डाउट ख़त्म करने के लिए करता है| क्योंकि PELE उसकी कमजोरी नहीं बल्कि उसकी ताकत थी सब उसे PELE कह कर बुलाने लगे थे| और वह PELE नाम से पूरी दुनिया में मशहूर हो चुका था| फिर मैच शुरू हो जाता है स्वीडन के खिलाड़ी PELE को टारगेट करते हैं|
जिंगा स्टाइल में जबरदस्त परफॉर्मेंस
और उसे जख्मी करने की कोशिश भी करते हैं लेकिन PELE किसी तरह बच जाता है पर स्वीडन पहले 4 मिनट के अंदर ही अपना पहला गोल कर देता है| मगर PELE खुद को फोकस करके जिंगा स्टाइल में खेलने लगता है और एक बेहतरीन पास देकर अपना पहला गोल कर देता है| सब लोग बहुत खुश हो जाते हैं PELE से इंस्पायर होकर बाकी प्लेयर भी जिंगा स्टाइल में खेलते हुए अपना दूसरा गोल कर देते हैं|
जिंगा स्टाइल में खेलते हुए उनके टीम में अलग ही यूनिटी थी जो इशारों की भाषा में बात करने लगे थे उनकी टीम का ऐसा कोर्डिनेशन देखकर सब हैरान थे| जहां सब लोग जिंगा को बुरा समझते थे अब वही लोग जिंगा की तारीफ करने लगे थे यह लम्हा PELE के पिता के लिए बहुत खास था|जिंगा स्टाइल में अपनी जबरदस्त परफॉर्मेंस के जरिए ब्राजील की टीम 5-2 से फीफा वर्ल्ड कप जीत जाती है|
और यह सब PELE की वजह से ही संभव हो पाया था अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद पूरा ब्राज़ील जश्न मना रहा था 8 साल पहले अपने पिता से किए वादे को PELE ने पूरा कर दिखाया था| 17 साल के PELE इतिहास के यंगेस्ट प्लेयर थे जिन्होंने न सिर्फ वर्ल्ड कप खेला बल्कि जीता भी आगे चलकर PELE ने ब्राजील की टीम के साथ 1962 और 1970 का वर्ल्ड कप भी जीता PELE एकमात्र खिलाड़ी है| जिन्होंने तीन वर्ल्ड कप टाइटल जीते हैं और उनके नाम सर्वाधिक 1283 गोल करने का रिकॉर्ड भी शामिल है|
उनकी वजह से ही जिंगा स्टाइल की खूबसूरती पूरी दुनिया को पता चली और आज जिंगा स्टाइल फुटबॉल का सबसे पसंदीदा स्टाइल बन चुका है|मुश्किलों से भरी PELE का सफ़र हमें अपने लक्ष्य के प्रति कड़ी मेहनत दृढ़ता त्याग और सबसे बढ़कर अपने डाउट्स और इन सिक्योरिटी को भूलकर अपने आप और अपने काम से प्यार करना सीखता है|












