BCCI: बीसीसीआई का उदय कैसे हुआ?

Riyajuddin Ansari
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आज की डेट में हर क्रिकेट बोर्ड इंडियन टीम के साथ क्रिकेट खेलना चाहता है| जिसके लिए वह BCCI बीसीसीआई से रिक्वेस्ट भी करते हैं कि आप हमारे साथ एक मैच खेल लीजिए| क्रिकेट की दुनिया में BCCI बीसीसीआई इतना ज्यादा पावरफुल है कि आईसीसी भी इसके सामने कुछ नहीं बोलता है|


BCCI बीसीसीआई पूरी दुनिया का सबसे अमीर और सबसे पावरफुल क्रिकेट बोर्ड है|पैसों के मामले में बीसीसीआई के आसपास भी कोई क्रिकेट बोर्ड नहीं है| लेकिन आज से तकरीबन 30 साल पहले ऐसा कुछ भी नहीं था यहां तक की इंडियन टीम के पास प्रेकटीस करने वाले बॉल खरीदने तक के पैसे नहीं थे|


और यहां तक कि जब 1983 का वर्ल्ड कप इंडिया जीत कर आया था तो उसको सेलिब्रेट करने तक के पैसे नहीं थे| अब आप के मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि इन बीते 30 साल में ऐसा क्या हुआ कि बीसीसीआई सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बन गई|

ICC और BCCI क्या है?

इसके पीछे की कहानी बहुत ही दिलचस्प है,लेकिन BCCI इतने अमीर बनने का सबसे बड़ा रीजन है| सिर्फ 2 टिकेट है|


आज हम जानने वाले है कि ICC आईसीसी क्या होता है, और इसका काम क्या होता है, BCCI क्या होता है और यह इतना अमीर कैसे बना|सबसे पहले हम बात करते हैं कि आईसीसी क्या है, क्रिकेट को अंग्रेजों ने बनाया है और उसके नियम कानून सब उन्हीं ने लिखा है|


आप देखिए जब क्रिकेट बन गया जगह-जगह पर लोग इसको खेलने लगे तो रूल्स को लेकर बहुत लोगों को मिस अंडरस्टैंडिंग रहती थी| अब इसी चीज को क्लियर करने के लिए अंग्रेजों ने साल 1909 में इंपीरियल क्रिकेट काउंसलिंग ICC आईसीसी का निर्माण किया|


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शुरुआती दिनों में इसका नाम इंपीरियल क्रिकेट काउंसलिंग था लेकिन बाद में बदलकर इसको इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसलिंग कर दिया गया| और इसके हेड क्वार्टर अरब अमीरात में मौजूद है| आईसीसी का काम बेसिकली रूल्स अच्छे से फॉलो हो रही कि नहीं इस चीज को देखना होता है ना की नई रूल का निर्माण करना होता है|


जब भी इंटरनेशनल दो देश आपस में मैच खेलते हैं तो आईसीसी का काम वहां पर अंपायर भेजना, रूल अच्छे  से फॉलो हो रही कि नहीं इस चीज को देखना और रैंकिंग को मैनेज़ करना होता है| इसके अलावा ना उनके रेवेन्यू या फिर उनके किसी भी चीज से उनको कोई मतलब नहीं होता है|


आईसीसी को रेवेन्यू से मतलब तब होता है जब आईसीसी मैच को होस्ट करती है जैसे आईसीसी ODI वर्ल्ड कप या फिर आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी अब इन सारी टूर्नामेंट को होस्ट करने के बाद ओवरऑल जितना भी प्रॉफिट जनरेट होता है आईसीसी इस प्रॉफिट को सारे बोर्ड्स में डिस्ट्रीब्यूशन कर देती है और इसको सबसे ज्यादा प्रॉफिट शेयर करना पड़ता है बीसीसीआई यानी भारतीय बोर्ड के साथ और ऐसा क्यों होता है|

BCCI क्या करती है?

आपको आगे बताते है, अब हम बात करते हैं कि BCCI क्या है, देखिए BCCI भारतीय क्रिकेट बोर्ड है जिसका पूरा नाम होता है, बोर्ड ऑफ कंट्रोल ऑफ क्रिकेट इन इंडिया इसको साल 1926 या 1928 में बनाया गया था बीसीसीआई का काम घरेलू मैचे जैसे आईपीएल और रणजी ट्रॉफी,WPL ऐसे मैच को होस्ट करना होता है|


मोटा-मोटी शब्दों में कहें अगर टीम इंडिया एक गांव है तो बीसीसीआई वहां का प्रधान है| जो हर चीज कंट्रोल करता है और ऐसे ही पीसीबी ईसीबी हर देश का अपना-अपना एक बोर्ड होता है| साल 1926 में फाइनली आईसीसी ने बीसीसीआई को यह परमिशन देदी की वो इंटरनेशनल मैच खेल सकता है|


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अब अंग्रेजों ने क्रिकेट को इंटरनेशनल प्रमोट करने के लिए साल 1975 में वर्ल्ड कप होस्ट किया जब 1975 का वर्ल्ड कप फाइनेंशली काफी अच्छा परफॉर्म करती है| फिर से 4 साल बाद साल 1979 में इंग्लैंड एक और बार वर्ल्ड कप होस्ट करता है| उस बीच जितना भी टूर्नामेंट मैच जो भी मैच होता था उन सारी चीज को इंग्लैंड ही होस्ट करता था|


इंग्लैंड के अलावा क्रिकेट होस्ट करने की कोई और देश सोचता भी नहीं था, और ना उनके पास उतने रिसोर्सेस थे समय बिता और इंग्लैंड सन 1983 में एक और बार वर्ल्ड कप को होस्ट करता है| और यह वह साल था जिस साल इंडियन टीम की मुकद्दर पूरी तरीके से बदलने वाली थी|


बीते 2 वर्ल्ड कप में इंडियन टीम की परफॉर्मेंस काफी खराब होती है, और इस वर्ल्ड कप में भी इंडिया टीम से वही उम्मीद रखी जा रही थी लेकिन टीम इंडिया साल 1983 में सब को एक सरप्राइज परफॉर्मेंस देता है| वह लगातार एक के बाद एक मैच जीतते जाते हैं और 22 जून 1983 को इंडिया,इंग्लैंड को उसी की सर जमीन पर हराकर फाइनल में जा खड़ा होता है|


और इस हार से गोरो को एक तगड़ा ठेस पहुंचता है, और टीम इंडिया से नाराज भी होते हैं| लेकिन यह हर भारतीय के लिए एक गर्व की बात थी| अब देखिए 25 जून को फाइनल मैच होने वाला था और 23 जून को एनकेपी सालवे, जो कि BCCI के प्रेसिडेंट थे उस टाइम पर उनके पास एक कॉल आता है|


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और वह कॉल था सिद्धार्थ शंकर राय जो कि उस टाइम पर इंडिया के एक बड़े पॉलिटिशियन थे| होता क्या है कि इंडिया पहली बार किसी टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची थी| और यह हर भारतीय के लिए बहुत खुशी वाला मूमेंट होता है और सिद्धार्थ शंकर जी उस टाइम पर इंग्लैंड में मौजूद थे| और वह इंडिया को अपने आंखों से जीतते हुए देखना चाहते थे|


लेकिन दिक्कत यह थी कि उनको टिकट नहीं मिल रही थी, और इसीलिए वह एनकेपी साल्वे के पास फोन करते हैं जो की BCCI के प्रेसिडेंट थे| अब टिकट की प्रॉब्लम को सुनकर एनकेपी साल्वे जी बहुत कॉन्फिडेंट बोलते हैं कि भाई हमारी टीम फाइनल में और हम इतने बड़े लेवल पर है तो हमें टिकट नहीं मिलेगी तो किसे टिकट मिलेगी|


इतना कहते हुए वह इंग्लैंड बोर्ड के पास फ़ोन मिलाते है 2 टिकेट लिए लेकिन आप जान के हैरान हो जाएंगे की साल्वे जी को इंग्लैंड बोर्ड ने टिकट देने से मना कर दिया| और काफी बेइज्जती भी की, इसका मेंन रीज़न था इंग्लैंड को सेमीफाइनल में इंडिया ने ही हराया था| और इस इन्सीडेंट से साल्वे जी की इगो हर्ट हो जाती है| और एनकेपी साल्वे जी गोरो से बदला लेने की सोचते हैं|


और वह कहते हैं कि अगला वर्ल्ड कप इंडिया होस्ट करेगा लेकिन दिक्कत यह थी कि ना आपके पास इनफ रिसोर्सेस है ना आपके पास सफिशिएंट पैसे हैं| और इस सिचुएशन में यह सोच एक पागलपन वाली सोच थी लेकिन 25 जून आता है इंडिया, वेस्टइंडीज के सामने फाइनल में खड़ी थी| और वेस्टइंडीज वो टीम थी जो की लगातार दो वर्ल्ड कप का फाइनल विनर रह चुका था|


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और सबको यही लग रहा था कि वह इंडिया को बहुत आसानी से हरा देगा खैर मैच शुरू होता है और इंडिया पहले बैटिंग करते हुए 183 रन का स्कोर खड़ा करता है| वेस्टइंडीज को बनाने थे 60 ओवर में 184 रन जो कि उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी| लेकिन इंडिया की मैजिकल बोलिंग की वजह से वेस्टइंडीज के प्लेयर एक के बाद एक आउट होते जा रहे थे|


और इंडिया ने वेस्टइंडीज को 140 पर ऑल आउट करके इस वर्ल्ड कप को जीत लिया|जब 1983 का वर्ल्ड कप टीम इंडिया जीत कर वापस अपने देश आता है, तो उसको सेलिब्रेट करने तक के पैसे नहीं थे उस टाइम पर लता मंगेशकर ने एक फ्री में कंसर्ट ऑर्गेनाइज की और उस कंसर्ट से टोटल 20 लाख रुपए इकट्ठे किए और उन्होंने 20 के 20 लाख रुपए BCCI को दे दीए|


जिसके बाद BCCI बीसीसीआई ने प्लेयर की सैलरी दी बाकी खर्चों को मेंटेन किया एक ऐसा भी टाइम था BCCI के लिए जब चंदो के पैसे से उसके खर्चे चलते थे| वही आज की डेट में 25000 करोड़ की वैल्यूएशन लिए घूम रहा है BCCI बीसीसीआई अभी आगे आपको थोड़ी देर में पता चलने वाला है कि ऐसी कौन सी घटना घटी जिसकी वजह से आज BCCI मल्टी बिलियन डॉलर की अंपायर खड़ा कर पाया है|


लेकिन जब 1983 का वर्ल्ड कप इंडिया जीत गई तो अगले वर्ल्ड कप को इंडिया में करने को लेकर एनकेपी साल्वे जी और भी ज्यादा कॉन्फिडेंट हो जाते हैं| जिसके बाद से श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे बोर्ड से साल्वे जी बात करते हैं, और उन्हें डिटेल में समझाते हैं कि हम कैसे गोरो के देश से क्रिकेट को बाहर निकाल सकते हैं|


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और यह दोनों देश साल्वे जी का साथ देने के लिए राजी हो जाते हैं और अगले आईसीसी मीटिंग में साल्वे जी  रोटेशनल पॉलिसी को इंट्रोड्यूस करते हैं| इस पॉलिसी के अकॉर्डिंग अगले हर चार साल बाद एक नया देश क्रिकेट को होस्ट करेगा इतना सुनने के बाद अंग्रेज एकदम से चौंक जाते हैं| और वह साल्वे जी पर काफी ज्यादा गुस्सा हो जाते हैं|


और इस पॉलिसी को एक्सेप्ट करने से वह एकदम से इनकार कर देते हैं| लेकिन यह रूल बहुत कमाल का था इसी वजह से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे बोर्ड इसको एक्सेप्ट करने के लिए एग्री हो जाते हैं| लेकिन इंग्लैंड पहले तो इस रूल को एक्सेप्ट करने से बहुत मना करता है बाद में प्रेशर या फिर मेजोरिटी के लिए उसकी वजह से इसको मजबूरन इस रूल को एक्सेप्ट करना पड़ता है|


इस पॉलिसी के अकॉर्डिंग अगले वर्ल्ड कप यानी 1987 की होस्टिंग इंडिया और पाकिस्तान को मिल जाती है| अब देखिए जैसे तैसे करके होस्टिंग तो मिल जाती है लेकिन होस्ट करने के लिए BCCI के पास पैसे नहीं थे|क्योंकि जब भी कोई बोर्ड मैच होस्ट करता है तो बहुत सारे खर्चे आते हैं| जैसे टीमों के आने जाने का खर्च उनके रुकने का खर्च उनके खाना पानी का खर्च और ग्राउंड पर भी कमेंटेटर कैमरा मैन कैमरा बहुत सारे खर्च होते हैं|

रिलायंस कप 1987 

जिसके लिए BCCI के पास एक भी पैसे नहीं थे तब साल्वे जी जगह-जगह से चंदा करने लगते हैं| उस टाइम पर हमारे प्राइम मिनिस्टर थे राजीव गांधी वह भी कुछ सपोर्ट करते हैं| और यह बात खत्म होती है जाकर अंबानी फैमिली पर उस टाइम पर मुकेश अंबानी के पापा धीरूभाई अंबानी BCCI को 6 करोड रुपए देते हैं|


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और वह साल्वे जी से बोलते हैं कम पड़े तो और ले लीजिएगा, बस यह जो वर्ल्ड कप 1987 है इसको रिलायंस कप 1987 कर दीजिए| यानी ऐज ए टाइटल स्पॉन्सर और साल्वे जी भी, इस बात को लेकर मान जाते हैं| अगर आज की डेट में भी आप गूगल करके देखेंगे तो रिलायंस कप 1987 दिखाएगा| जैसे तैसे करके मैच तो खत्म हो जाती है|


लेकिन BCCI न अपना बजट रिकवर कर पता है और ना ही इंडिया फाइनल जीत पाता है|इन सारी चीज के बावजूद भी साल्वे जी एक बहुत बड़ी जंग जीत जाते हैं| और वह होता है इंग्लैंड की धरती से क्रिकेट को बाहर निकलने का जिसके बारे में आज से पहले किसी और देश ने सपने में भी नहीं सोचा था| उसको एन के पी साल्वे जी ने कर दिखाया|


ऐसे ही समय बीत रहा होता है और साउथ अफ्रीका जो की 21 साल बाद क्रिकेट में वापसी करने वाली थी उसका पहला मैच इंडिया के साथ था| और इस मैच की हाइप खूब बनी हुई थी, क्योंकि साउथ अफ्रीका टीम पर 21 साल का बैन लगा था और यह बैन क्यों लगा था इस चीज को हम समझ लेते हैं|


देखिए साल 1970 के टाइम पर साउथ अफ्रीका गवर्नमेंट ने यह कहा था कि हमारे टीम में सिर्फ गोरे प्लेयर खेलेंगे और सिर्फ उसी टीम से खेलेंगे जिस टीम में केवल गोरे प्लेयर होंगे| इसी भेदभाव की वज़ह से आईसीसी ने साउथ अफ्रीका को परमानेंटली बेन कर दिया| लेकिन साल 1991 में नेल्सन मंडेला जी आके सारी चीजे कंट्रोल में लेते हैं, तो यह बेन को हटा दिया जाता है|

10 नवंबर, 1991 को 21 साल के प्रतिबंध के बाद

बेन हटाने के बाद साउथ अफ्रीका का सबसे पहला मैच इंडिया से होता है| अब क्योकि साउथ अफ्रीका 21 साल बाद क्रिकेट में वापसी कर रही थी तो इसका हाईप भी खूब बना हुआ था| और उस टाइम पर BCCI के प्रेसिडेंट थे जगमोहन डालमिया इस मैच के पहले साउथ अफ्रीका के क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर अली बकर जगमोहन डालमिया के पास कॉल करते हैं|


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अली बकर जगमोहन डालमिया से कहते हैं की साउथ अफ्रीका में बहुत लोग एक्साटेड है इस मैच को देखने के लिए आप ब्रॉडकास्टिंग राइट के कितने पैसे लोगे, जगमोहन डालमिया ने कहा जी हम लेते नहीं है 5 लाख रुपए पर मैच के दूरदर्शन नाम की टीवी चैनल को हम देते हैं|


अली बकर एकदम से चौंक जाते हैं और वह कहते हैं अरे भाई ब्रॉडकास्टिंग राइट आपका है आपको पैसे लेने चाहिए ना कि उल्टा किसी को देने चाहिए, इसके बाद से जगमोहन डालमिया इसके खिलाफ बाकायदा केस कर देते हैं| और वह इस केस को जीत भी जाते हैं, और BCCI इस मैच के ब्रॉडकास्टिंग राइट को साउथ अफ्रीकन स्टेट चैनल को 2 लाख डॉलर में बेच देती है|


ब्रॉडकास्टिंग राइट से यह BCCI की पहली कमाई होती है, और उसी साल जब मनमोहन सिंह इंडिया का ग्लोबलाइजेशन कर देते हैं तो फौरन कंपनियां इंडिया में आकर इन्वेस्ट करने लगती है| अपने प्रॉडक्ट्स लॉन्च करने लगते हैं उनको अपने प्रोडक्ट की एडवर्टाइजमेंट के लिए ज्यादा लोगों का अटेंशन चाहिए था और इंडिया में सेटेलाइट टेलीविजन के चलते क्रिकेट से ज्यादा कुछ भी नहीं देखा जाता था|

ब्रॉडकास्टिंग राइट का पावर

कंपनी वालों को भी अपने एडवर्टाइजमेंट का एकमात्र जरिया नजर आया वह था क्रिकेट बीसीसीआई को इस ब्रॉडकास्टिंग राइट का पावर का पता तब चलता है जब फिर से 2 साल बाद इंग्लैंड, इंडिया के दौरे पर मैच खेलने आता है| उस टाइम पर ब्रॉडकास्टिंग राइट्स BCCI ने TWI नाम की टीवी चैनल को 6 लाख डॉलर में बेचा जो दूरदर्शन पहले बीसीसीआई से ₹500000 पर मैच के लेता था वही दूरदर्शन साल 1999 से 2004 तक के राइट्स के लिए 240 करोड रुपए BCCI को देता है|


और ऐसे ही मैच को खेलते खेलते BCCI आराम से प्रॉफिटेबल हो चुकी थी| 2007 में BCCI की वैल्यूएशन थी 650 करोड़ 2008 में BCCI ने एक ऐसी ब्रह्मास्त्र लॉन्च करी जिसके बदौलत आज BCCI के आसपास भी कोई क्रिकेट बोर्ड नहीं है और वह था आईपीएल (IPL)


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क्रिकेट जगत में टोटल व्यूवर्स शिप का 80% व्यूवर्स सिर्फ इंडिया से आती है| और जब आईपीएल चल रहा होता है तो इंडियन फैंस किसी और मैच को देखना है बिल्कुल भी पसंद नहीं करते और इसी वजह से जब आईपीएल चल रहे होते हैं तो ढाई महीना तक कोई भी इंटरनेशनल भी बड़ा मैच नहीं खेले जाते हैं|


अब जब भी आईपीएल या फिर इंडिया की मैच होती है तो भर भर के लोग स्टेडियम में भी पहुंचते हैं और ऑनलाइन भी खूब देखते हैं लोग इसको, अब जब किसी भी मैच की व्यूवर शिप ज्यादा होती है तो स्पॉन्सरशिप ब्रॉडकास्टिंग हर चीज के पैसे ज्यादा मिलते हैं| यानी उस बोर्ड की कमाई ज्यादा होती है अभी कुछ दिन पहले आईपीएल ऑक्शन हुआ था|


जहां दो से ढाई महीने के लिए 27 करोड रुपए तक सिर्फ एक प्लेयर को मिला अब आप इसी बात से अंदाजा लगा लीजिए की ओवरऑल इस लीग से कितनी कमाई होती होगी| और आईपीएल के इसी इनिशियल सक्सेस की वजह से आज BCCI बीसीसीआई पूरी दुनिया का सबसे अमीर और सबसे पावरफुल क्रिकेट बोर्ड है| जब भी किसी बोर्ड की हालत पतली हो जाती है तो वह सोचता है कि इंडिया के साथ मैच खेल लेते हैं|


ताकि कुछ पैसे आ जाए और उसकी फाइनेंसियल कंडीशन सही हो जाए एक और चीज अगर आपने नोटिस किया होगा बाहरी प्लेयर आईपीएल खेलते हुए देखते हैं लेकिन इंडियन प्लेयर्स बाहरी कोई भी लीग खेलते हुए नहीं दिखते हैं| इसका आंसर बड़ा सिंपल है जब भी कोई इंडियन प्लेयर बाहरी लीग को खेलेगा तो उसकी व्यूवर सिप अचानक से बढ़ जाएगी|


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और उसके पास भी पैसे ज्यादा आने लगेंगे और वह आगे चलकर BCCI को कंपीट ना करने लगे इसीलिए बीसीसीआई जब प्लेयर को साइन करता है, तो एक एग्रीमेंट भी साइन करता है कि रिटायरमेंट से पहले वह कोई और लीग नहीं खेलेगा शिवाय आईपीएल के और आईपीएल से बीसीसीआई या फिर कोई भी बोर्ड किसी मैच को होस्ट करके पैसे कमाती है|


BCCI के सबसे मेन इनकम रिसोर्सेस है ब्रॉडकास्टिंग राइट्स जिसके बारे में पहले इनको पता ही नहीं था| बीसीसीआई ने आईपीएल के 2023 से लेकर 2027 तक के राइट्स को 48000 करोड़ में बेचा है| जिसमें से तकरीबन 23 हजार करोड़ टेलीविजन राइट है, और 20 हजार करोड़ डिजिटल राइट्स है| आप इमेजिन कीजिए कि आने वाला समय BCCI के लिए क्या होने वाला है|


सिर्फ दो टिकटे अंग्रेज आज भी अफसोस करते होंगे की काश उस दिन हम लोग दो टिकट को अरेंज कर दिए होते, एक ऐसा सनकी  आदमी जिसको टिकट नहीं मिले तो पूरा का पूरा क्रिकेट ही छीन लिया| दिस इस द रियल मैन ऑफ इगो, एनकेपी साल्वे |

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