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कभी कभी एक बल्ला किस्मत से नहीं तकदीर से उठता है| दिल्ली की तंग गलियों में एक ऐसा ही लड़का था जिसके हाथ में बैठ और आंखों में सपना था नाम Virat Kohli, 5 नवंबर 1988 दिल्ली की गर्मियों में पैदा हुआ यह लड़का एक मिडिल क्लास पंजाबी फैमिली में पला बड़ा|
इनके पापा एक क्रिमिनल लोयर थे और माँ सिंपल हाउसवाइफ लेकिन बेटे का इरादा कानून का नहीं मैदान का था| विशाल भारतीय पब्लिक स्कूल में दाखिला तो हुआ पढ़ाई के लिए लेकिन Virat Kohli का ध्यान क्लासरूम में नहीं नेट में होता था|
दोस्त छुट्टी में गली क्रिकेट खेलते विराट कोचिंग में पसीना बहाता था, साल 1998, 9 साल का वह छोटा विराट दाखिल हुआ वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकेडमी में कोच राजकुमार शर्मा ने पहली बार देखा और कहा यह लड़का नहीं तूफान है|
विराट के असली कोच
Virat Kohli के असली कोच उनके पापा थे प्रेम कोहली सुबह-सुबह उठना प्रेक्टिस ले जाना हर मैच में साथ खड़ा होना यह रिश्ता क्रिकेट से भी बड़ा था| लेकिन 2006 में वह तूफ़ान थम गया पिता जी नही रहे ब्रेन स्टोक से अचानक निधन हो गया|
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Credit @MSN |
2008 इंडिया को मिला अपना अगला युद्ध विराट ने अंडर-19 वर्ल्ड कप जिताया, और सिलेक्टर ने कह दिया यह लड़का बैकबेंचर्स नहीं कैप्टन पदार्थ है| एक सपने की शुरुआत हो चुकी थी और दुनिया को तब क्या पता था कि यह लड़का एक दिन क्रिकेट का किंग कहा जायेगा|
2008 में विराट कोहली ने अंडर-19 वर्ल्ड कप जिताया और पूरी दुनिया ने पहली बार इस लड़के को नोटिस किया एक नया चेहरा एक नया एटीट्यूड और एक नई उम्मीद फिर आया आईपीएल इंडियन प्रीमियर लीग जहां क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं शो बन चुका था|
Virat Kohli को मिला आरसीबी का कॉल बेंगलुरु की टीम में उसका नाम अब सचिन और धोनी के बीच लिखा जाने वाला था 22 अगस्त 2008 श्रीलंका के खिलाफ विराट ने पहली इंडिया की ब्लू जर्सी लेकिन शुरुआत फिल्मी नहीं थी रन कम मौके भी कम और आलोचक कहने लगे स्टाइल है समझदारी नही|
विराट कोहली का पहला शतक
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Credit @The Guardian |
लेकिन विराट कोहली हार मानने वालों में से नहीं था यह वह लड़का था जो फॉर्म में आने का इंतजार नहीं करता यह फॉर्म को खुद पकड़ के लाता है| उसने फिटनेस को धर्म बना लिया और बैट को हथियार धीरे-धीरे विराट रन मशीन बनने लगा फील्डिंग में चीते जैसी फुर्ती और बैट से गोलियां जैसे शॉट|
2010 तक विराट सिर्फ टीम का हिस्सा नहीं था टीम की जरूरत बन चुका था 24 दिसंबर 2009 में कोलकाता के ईडन गार्डन में विराट ने लगाया अपना पहला शतक और दुनिया को एहसास हुआ अब यह लड़का बल्ले से बातें करेगा और पूरी दुनिया सुनेंगी वह सिर झुका कर खेलने वाला नहीं था मैदान में वह आंख में आंख डालकर बात करता था|
स्लीव्स ऊपर कॉलर उठाकर खेलने वाला जिसने दिखा दिया क्रिकेट सिर्फ क्लास से नहीं कैरक्टर से जीता जाता है|यह सिर्फ रन बनाने वाले खिलाड़ी की दास्तान नहीं यह उस लड़के की कहानी है, जिसने ठोकरो को सीढ़ी बना लिया और दुनिया से कहा मैं किसी मौके कामोहताज नहीं हूं|
साल 2011 देश को इंतजार था वर्ल्ड कप का और टीम इंडिया की नजर थी धोनी सहवाग सचिन और युवराज पर लेकिन पीछे एक लड़का चुपचाप अपनी जगह पक्की कर रहा था| पहला ही मैच बांग्लादेश के खिलाफ सोनबाद वह सिर्फ रन नहीं थे वह विराट का ऐलान था कि मैं बच्चे के तौर पर आया था पर अब बड़ी बात करने आया हूं|
विराट ने सचिन को कंधे पर उठाया
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Credit @AT10 on X |
ड्रेसिंग रूम में विराट कभी शरारती था कभी संजीदा वह सचिन के हर बात नोट करता सहवाग के सिक्स देखने से पहले उनकी हंसी पड़ता और धोनी को बस देखता रहता कैसे एक कूल चेहरा देश का प्रेशर झेलता है|पूरे वर्ल्ड कप में कोहली कोई ब्लॉकबस्टर नहीं बना पर एक मजबूत ईट जरूर बना|
हर मैच में रन हर पारी में कॉन्फिडेंस विराट वो खिलाडी था जो मैदान पर प्रजेंट लता था| फाइनल में जब सचिन आउट हुए पूरा देश सन और बैटिंग करने आया विराट कोहली 35 रन की वह इनिंग कोई आंकड़ों में बड़ी नहीं पर उस वक्त की सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी देश को गिरने नहीं देना|
और जब मैं जीतने के बाद विराट ने सचिन को कंधों पर उठाया उस दिन उसने सिर्फ भारत का दिल नहीं जीता उसने खुद को साबित कर दिया अब मैं सिर्फ टीम में नहीं इस टीम के लिए हूं| 2011 का वर्ल्ड कप देश के लिए शायद आखरी सचिन वाला सपना था|पर विराट के लिए वह पहले ईट थी उसके लिए जिसे आज हम किंग कोहली कहते है|
22 साल की उम्र में विश्व कप जीतने के बाद विराट ने अपनी छवि को एक दूसरे स्तर पर पहुंचा दिया उस समय तक वह एक स्टार बनने की दिशा में बढ़ रहे थे लेकिन असली संघर्ष तो अभी बाकी था वह समय था जब विराट को साधारण बल्लेबाज के तौर पर देखा जाता था उनका आत्मविश्वास और खेल के प्रति जुनून तो था मगर वह खुद को एक स्थिर खिलाड़ी के रूप में साबित नहीं कर पाए थे|
कोहली ने बदली अपनी आदत
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Credit @Punekar News |
फिर आया 2014 का ऑस्ट्रेलिया का दौरा जब विराट ने अपने क्रिकेट करियर की सबसे बड़ी परीक्षा दी ऑस्ट्रेलिया में उनकी स्थिति काफी चुनौती पूर्ण थी पहले तो वह नए कप्तान बने थे और फिर अपनी बैटिंग स्किल्स पर भी सख्त सवाल उठाए जा रहे थे, लेकिन विराट ने एक भी पल हार मानने का नाम नहीं लिया|
उन्होंने चार शतक लगाए और एक बार फिर से क्रिकेट के मैदान में अपना दबदबा बना लिया लेकिन क्या आपको पता है यह सब इतनी आसान नहीं था विराट ने अपनी जीवन शैली को पूरी तरह से बदल दिया अब वह पहले वाले चॉकलेटी बॉय से कहीं ज्यादा परिपक्व फिट और शारीरिक रूप से मजबूत हो गए थे|
उन्होंने अपनी सारी आदतें बदल डाली थी कोई जंक फूड नहीं कोई पार्टी नहीं सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट और फिटनेस पर फोकस लेकिन इस बदलाव के बावजूद भारत उस सीरीज में हार गया| विराट के बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद टीम इंडिया उस दौरे में दो टेस्ट मैच हार गई और दो ड्रॉ हुए यह समय विराट के लिए काफी मुश्किल था|
अपनी मेहनत के बावजूद टीम को हार का सामना करना पड़ा लेकिन विराट ने कभी हार नहीं मानी उन्होंने कभी भी अपनी आस्था नहीं खोई और यही वह पल था जब उन्होंने ठान लिया कि अब कुछ भी हो वह हमेशा विजेता बने रहेंगे 2014 का यह दौर विराट के लिए एक टर्निंग पॉइंट था|
विराट की एक नई शुरुआत
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Credit @Aaj Tak |
Virat Kohli ने ऑस्ट्रेलिया में अपना खुद का क्रिकेट खेल दिखाया उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें भारत का एक प्रभावशाली लीडर बना दिया और इस दौरान जो सबसे बड़ी बात थी वह यह थी कि विराट ने अपने मानसिक दृष्टिकोण को मजबूत किया था| उन्होंने खुद को बार-बार चुनौती दी और अंतत वह खिलाड़ी बने जो आज क्रिकेट की दुनिया में एक आइकन के रूप में स्थापित है|
Virat Kohli की यह यात्रा शुरू हुई थी तो शायद ही किसी ने सोचा था कि वह एक दिन भारतीय क्रिकेट का चेहरा बनेंगे लेकिन जिस तरह से उन्होंने हर चुनौती को अपनाया और खुद को हर बार साबित किया वह इस बात का प्रतीक है कि संघर्ष मेहनत और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है|
2015 विराट कोहली के करियर का वह मोड था जहां से वह सिर्फ एक शानदार बल्लेबाज नहीं बल्कि एक नेचुरल लीडर बनकर सामने आये उस समय तक वह अपनी फिटनेस तकनीकी सुधार और आत्मविश्वास के साथ पूरी दुनिया में छा चुके थे| लेकिन 2015 के बाद जो हुआ वह विराट को एक अलग ही स्तर पर ले गया|
2015 में वर्ल्ड कप के बाद Virat Kohli की यात्रा एक नई दिशा में मुड़ गई हालांकि भारत ने विश्व कप 2015 में जीत हासिल नहीं की लेकिन विराट ने जो प्रदर्शन किया वह किसी महानता से कम नहीं था| लेकिन यहां से विराट की असली परीक्षा शुरू होती है|
2015 के बाद उन्होंने अपनी कप्तानी में पूरी टीम इंडिया को न केवल जीत दिलाना शुरू किया बल्कि भारतीय क्रिकेट को एक नई पहचान दी विराट ने 2016 में अपना एक और असली रूप दिखाया इस साल उन्होंने न सिर्फ वनडे क्रिकेट में अपनी पारी की काबिलियत साबित की बल्कि T20 के मैदान में भी अपनी क्षमता से सबको हैरान कर दिया|
हर तूफ़ान में उपर उड़ने वाला खिलाडी
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इंडियन टीम को 2016 T20 में न्यूजीलैंड से हार के बाद विराट ने अकेले अपनी बल्लेबाजी से सब का दिल जीत लिया 2017 से लेकर 2025 तक का विराट कोहली का सफर सिर्फ रन बनाने की कहानी नहीं है| यह उस बाज की कहानी है जो हर तूफान में ऊपर उड़ता है, यह उस खिलाड़ी की कहानी है जिसने न सिर्फ भारत को जीत दिलाई बल्कि खुद को क्रिकेट इतिहास के सबसे महान शहरों में गिनवा लिया|
धोनी ने कप्तानी छोड़ी और कमान सौंप गई विराट कोहली को किसी को शक नहीं था कि विराट तैयार है| क्योंकि वह कप्तानी करने नहीं लीडर बनने आया था ODI, T20 और टेस्ट तीनों फॉर्मेट की कमान उसके हाथ में आगई| और फिर शुरू हुआ एक नया युग, विराट युद्ध 2017 चैंपियंस ट्रॉफी में विराट ने इंडिया को फाइनल तक पहुंचाया भले पाकिस्तान से हार मिली लेकिन विराट ने फॉर्मेट में क्लास दिखा दी|
उसी साल श्रीलंका वेस्टइंडीज ऑस्ट्रेलिया सब कुछ चटाई धूल 2018 विदेश में आग उगलता विराट दक्षिण अफ्रीका इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया ये वो मैदान थे जहा भारतिय बल्लेबाज़ रोते थे और विराट ने रोना नही राज़ करना चुना दक्षिण अफ्रीका में तीन शतक इंग्लैंड में 593 रन जो सबसे ज्यादा थे| और फिर ऑस्ट्रेलिया में पहला ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज बादशाहत जीत|
2018 का विराट पागल फिटनेस पॉजिटिव कप्तानी और रन मशीन और 2019 वर्ल्ड कप का दर्द विराट की अगवाई में टीम इंडिया ने 2023 की तरह 2019 में भी धमाल मचाया लीग स्टेज में टॉप पोजीशन लेकिन सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हार विराट की आंखों में आंसू लेकिन अंदर आग और भी गहरी हो चुकी थी|
फाइनल में दिल तोड़ देने वाला अंत
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कोविड का दौर क्रिकेट रुका और विराट की फॉर्म भी शतक नहीं आ रहा था रन सूख गए थे हर जगह सवाल हर तरफ ट्रोलिंग कप्तानी पर भी उंगली उठने लगी फिर एक दिन विराट ने सब को चौंका दिया, मैं कप्तानी छोड़ रहा हूं लेकिन क्या विराट टूट गया नहीं, जो टूटा है वह विराट नहीं होता|
2022 विराट की पुनर्जन्म एशिया कप में 1029 दिन बाद शतक और वह भी T20 में फिर आया T20 वर्ल्ड कप 2022 का मेलबर्न का चमत्कार पाकिस्तान के खिलाफ 62 रन अंतिम ओवर में छक्का मार कर मैच फिनिश किंग इस बैक ट्रेंड करने लगा|
2023 क्लासिक विराट शांति में तूफान वनडे में शतक पर शतक फिर आया वनडे वर्ल्ड कप 2023 विराट बने प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट सबसे ज्यादा रन 765 लेकिन फाइनल में हार एक और दिल तोड़ देने वाला अंत पर पब्लिक जान गई थी अगर कोई बंदा लगातार उम्मीद दिलाता है वह है विराट कोहली|
फिर आता है 2024 का T20 वर्ल्ड कप इसमें कोहली के बल्ले से रन तो नहीं बने पूरे टूर्नामेंट में कोहली शांत रहे लोग फिर उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिए कहने लगे की कोहली T20 खेलने लायक नहीं रहे सब कुछ चुप कराते हुए कोहली ने फिर से फाइनल मैच में हाफ सेंचुरी मारी और टीम के स्कोर को ऊपर ले गए कोहली की पारी की मदद से और बॉलर की अच्छी गेंदबाजी की मदद से इंडिया T20 वर्ल्ड कप जीत जाती है|
2025 चैंपियन ट्रॉफी, चैंपियन ट्रॉफी को इस बार पाकिस्तान होस्ट करता है पर इंडिया के सारे मैच दुबई में होते हैं चैंपियन ट्रॉफी में कोहली ने 5 मैच में 292 रन मारता है 58.4 की बैटिंग एवरेज से जिसमें 4 अर्धशतक थी इसी तरह से इंडिया चैंपियन ट्रॉफी जीत जाती है | 2017 से 2025 तक विराट ने गिरना सीखा लड़ना सीखा और हर बार वापसी करने का नया तरीका ढूंढा|
विराट,कोहली से बने किंग
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यह वो कहानी है जिसमे संघर्ष है क्रोध है संस्कार है और एक शेर जैसी गरज है जो कहती है जब तक मैं खेल रहा हूं तब तक खेल बाकी है विराट कोहली वह नाम जिसे क्रिकेट के मैदान पर किंग की तरह सलाम किया जाता है|
2008 से शुरू हुआ सफर और 2025 तक का यह ऐतिहासिक पल लेकिन क्या यह अंत है नहीं क्योंकि विराट कोहली का क्रिकेट का जुनून अभी खत्म नहीं हुआ आज वह संन्यास की ओर नहीं बढ़ रहे बल्कि हर कदम पर एक नई कहानी लिख रहे हैं अभी तो और भी रिकॉर्ड और भी उपलब्धियां बाकी है क्योंकि विराट कोहली का दिल अभी भी मैदान पर धड़कता है और वह जब तक खेलते हैं यह कहानी जारी रहेगी|